अल्लाह तआला अल ग़नी और अल मुग़नी है..

 अल्लाह तआला अल ग़नी और अल मुग़नी है..

अल्लाह तआला अल ग़नी और अल मुग़नी है..

बेशक अल्लाह तआला अल ग़नी और अल मुग़नी है..

” अल ग़नी ़“

वह अपनी ज़ात के एतबार से बेनियाज़ है,जिस के लिये पूर्ण बेनियाज़ी है,उस की विशेषताओं और उस की पूर्णता में किसी प्रकार की कमी पैदा नहीं हो सकती,और उस के लिये बेनियाज़ी के सिवा कुछ और होना असंभव है,क्योंकि बेनियाज़ी उस की ज़ात की आवश्यक विशेषता है,जिस प्रकार उस का खालिक़ राजि़क,क़ादिर और मुह्सिन होने के अतिरिक्त कुछ और होना असंभव है,वह किसी भी प्रकार से किसी का मुहताज नहीं,वह बेनियाज़ है,उसी के हाथ में आकाश एवं धरती की कुंजियाँ हैं,वह अपनी मखलूक़ को आम तौर पर बेनियाज़ बनाने वाला है।

”अल ग़नी“

वह अपने बंदों से बेनियाज़ है,वह उन से खाना पीना नहीं माँगता,उस ने बंदों को इस लिये पैदा नहीं किया कि अपनी कमी को उन से पूरा करे,और न इस लिये कि अपनी कमज़ोरी को उन से शक्ति पहुँचाये,और न इस लिये कि अपनी वह्शत को दूर करने के लिये उन से मानूस हो,बल्कि बंदे ही अपने खाने पीने और संपूर्ण मामलों को हल करने में उसी के मुहताज हैं,अल्लाह तआला ने कहाः {मैंने जिन्नात और इन्सानों को सिर्फ इसी लिये पैदा किया है कि वे केवल मेरी इबादत करें,न मैं उन से जीविका चाहता हूँ,न मेरी यह इच्छा है कि ये मुझे खिलायें“।}[अज़्ज़ारियातः 56-57].

”अल मुग़नी“

वह लोगों को उन की ज़रूरतों और मुहताजगी से बेनियाज़ रखता है,वह अपने बंदों को देने में कमी नहीं करता,और बंदों को उस के अतिरिक्त किसी और की आवश्यक्ता नहीं,जैसा कि हदीसे कु़दसी में आया है किः «अगर तुम में से पहला और अंतिम व्यक्ति,इन्सान और जिन्नात एक पलेटफार्म पर खड़े हो जायें और मुझ से माँगें और मैें उन में से हर एक की ज़रूत पूरी करूँ तो उस से मेरे खज़ानों में बिलकुल उसी प्रकार कमी होगी,जिस प्रकार सूई को समुद्र मेें डाल कर निकालने से होती है..» (मुस्लिम).

”अल मुक़ीत“ जिस ने हर एक मखलूक को वह चीज़ें पहुँचा दी हैं जिन से वे अपना पेट भरते हैं,और हर एक को उस की जीविका दे दी है,और अपनी हिक्मत और प्रशंसा को देखते हुये जैसा चाहता उस में तसरुफ करता है।

”अल मुग़नी“

वह अपने कुछ बेंदों को हिदायत और उन के दिलों की सुधार केे ज़रिये बेनियाज़ करता है,अर्थाता उन्हें अपने ज्ञान,महिमा,महानता,और अपनी मुहब्बत प्रदान करता है,तो दुनियावी सुधार से ज़्यादा और अधिकतर पूर्ण और महत्व चीज़ों से उन्हें बेनियाज़ करता है।

हे वह ज़ात जिस के देने से उस के खज़ाने में कोई कमी नहीं होती... हमें हराम से बचाते हुये हलला रोज़ी के ज़रिये बेनियाज़ कर दे,क्योंकि तू खूद बे नियाज़ है और बेनियाज़ी अता करने वाला है।

बेशक अल्लाह तआला बे नियाज़ है और बेनियाज़ी अता करने वाला है..



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