अल्लाह तआला अल हय्य और अल क़य्यूम है..

 अल्लाह तआला अल हय्य और अल क़य्यूम है..

अल्लाह तआला अल हय्य और अल क़य्यूम है..

{अल्लाह वह है जिस के सिवाय कोई सत्य माबूद नहीं,जो जि़ंदा है और सभी का रक्षक है“।}
[आले इमरानः 2].

बेशक अल्लाह तआला अल क़य्यूम है.. {अल्लाह वह है जिस के सिवाय कोई सत्य माबूद नहीं,जो जि़ंदा है और सभी का रक्षक है“।}[आले इमरानः 2].

”अल हय्य“

संपूर्ण जीवन वाला,उस को किसी की आवश्यक्ता नहीं,जब कि दूसरों को उस की आवश्यक्ता है... और अल्लाह तआला की ज़ात के अतिरिक्त हर चीज़ हलाक होने वाली है।

”अल क़य्यूम“..

वह ज़ात जो स्वयं क़ायम और सब से बेनियाज़ है।

”अल क़य्यूम“..

हर नफ्स के करतूतों का ज्ञान रखने वाला,उन के आमाल,हालतों,कथनांे,उन की अच्छाइयों और उन की बुराइयों का रक्षक है,जो उन के अमलों की बुनियाद पर उन्हें प्रलोक में बदला देने वाला है।

”अल क़य्यूम“..

बंदों के आमाल की गिनती रखने वाला।

”अल क़य्यूम“..

अपने हर मखलूक़ के जीवन,उन की जीविका,उन के अहवाल और उन के मामलों की तदबीर का जि़म्मेदार।

”अल हय्य अल क़य्यूम“

बिना निधन के बाक़ी रहने वाला।

”अल हय्य अल क़य्यूम“

संपूर्ण जीवन वाला स्वयं अपने वजूद को क़ायम रखने वाला। आसमान और ज़मीन वालों के लिये क़ायम करने वाला,उन की रोज़ी और दूसरे तमाम अहवाल की तदबीर करने वाला। ”अल हय्य “ संपूर्ण ज़ाती विशेषताओं वाला,और अल क़य्यूम“ः दूसरी संपूर्ण विशेषताओं वाला।

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